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कोई दीवाना कहता है |Koi Diwana Kahta Hai | Kumar Vishwas

Koi diwana kahta hai

 कोई दीवाना कहता है |Koi Diwana Kahta Hai | Kumar Vishwas 

Poet - Dr. Kumar Vishwash
Poetry- Koi Diwana Kahta Hai, Koi Pagal Samjhta Hai

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है |  Koi Diwana Kahta Hai, Koi Pagal Samjhta Hai

कोई दीवाना कहता है |Koi Diwana Kahta Hai | Kumar Vishwas 

**मेरी आँखों में मोहब्बत की चमक आज भी है, हांलाकि उसको मेरे प्यार पे शक आज भी है
नाव में बैठ के धोए थे उसने हाथ कभी, पुरे तालाब में मेहँदी  की चमक आज भी है**

कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है !
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है !!
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ , तू मुझसे दूर कैसी है !
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है !!

मोहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है !
कभी कबिरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है !!
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं !
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है !!

समंदर पीर का अन्दर है, लेकिन रो नही सकता !
यह आँसू प्यार का मोती है, इसको खो नही सकता !!
मेरी चाहत को दुल्हन तू बना लेना, मगर सुन ले !
जो मेरा हो नही पाया, वो तेरा हो नही सकता !!

भ्रमर कोई कुमुदुनी पर मचल बैठा तो हंगामा!
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा!!
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का!
मैं किस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा!!


ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है! 

ये दौलत और शौहरत सिर्फ कुछ जख्मों का मरहम है !!
अजब सी कशमकश है रोज जीने ,रोज मरने में मुक्कमल जिंदगी तो है!
मगर पूरी से कुछ कम है!!


तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,

कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,

कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,

मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।

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