Meri Qismat Ka Mere Khuda Tu Agar Lyrics

Meri Qismat Ka Mere Khuda Tu Agar lyrics

Meri Qismat Ka Mere Khuda Tu Agar Lyrics

Meri Qismat Ka Mere Khuda Tu Agar lyrics

Meri Qismat Ka Mere Khuda Tu Agar Lyrics

 अल्लाह मेरे अल्लाह
अल्लाह मेरे अल्लाह
या खुदा या खुदा या खुदा


मेरी किस्मत का मेरे खुदा तू अगर 
दूर कर दे अँधेरा तो क्या बात है 


हरज की तुम दो तारीख रातो का अब, वो  हरम  में साँवेरा तो क्या बात है
मेरी किस्मत का मेरे खुदा तू अगर, दूर कर दे अँधेरा तो क्या बात है 

 

मेरे होंठो में हर दम रहे गूँजते, अपने आका के तारीफ के जमजमे
मेरे होंठो में हर दम रहे गूँजते, अपने आका के तारीफ के जमजमे


इसके बदले मुझे हष्र और कब्र में रहमतों ने हो घेरा तो क्या बात है 
मेरी किस्मत का मेरे खुदा तू अगर, दूर कर दे अँधेरा तो क्या बात है

लक्स मेरे मुकद्दर पे करने लगे, सब फरिश्ते भी हूरे भी गिलमान भी 
लक्स मेरे मुकद्दर पे करने लगे, सब फरिश्ते भी हूरे भी गिलमान भी 

कमली वाले के कदमो में यूँ जा के मैं डाल दू अपना डेरा तो क्या बात हैं  
मेरी किस्मत का मेरे खुदा तू अगर, दूर कर दे अँधेरा तो क्या बात है

हरज की तुम दो तारीख रातो का अब, वो  हरम  में साँवेरा तो क्या बात है

ये खुदा जिस्म पर, बाजुओं की जगह 
ये खुदा जिस्म पर, बाजुओं की जगह 
अपनी कुदरत से पर लगा दे मुझे 
दिन को उड़ता फिरू, गिर्द कांटे की सब हो मदीने बसेरा तो क्या बात है 

मेरी किस्मत का मेरे खुदा तू अगर, दूर कर दे अँधेरा तो क्या बात है

सब्ज गुम्बद को मुस्ताक नजरों से मैं टिकटिकी बांध कर मैं 
ऐसे तकता राहू 
सब्ज गुम्बद को मुस्ताक नजरों से मैं टिकटिकी बांध कर मैं 
ऐसे तकता राहू 
लब पे सल्ले अला का मेरे फिर्द हो 
दम निकल जाये मेरा तो क्या बात है 

मेरी किस्मत का मेरे खुदा तू अगर, दूर कर दे अँधेरा तो क्या बात है

हरज की तुम दो तारीख रातो का अब, वो  हरम  में साँवेरा तो क्या बात है

गर खुदा अपने महबूब बरहक़ की तू 
खाक में ही ज़ियारत करा दे मुझे 
गर खुदा अपने महबूब बरहक़ की तू 
खाक में ही ज़ियारत करा दे मुझे 

मुस्तहिक़ तो नहीं मैं इसे साज का, तस्ल हो जाये तेरा तो क्या बात है
मेरी किस्मत का मेरे खुदा तू अगर, दूर कर दे अँधेरा तो क्या बात है

अब तो जी में ही जाकर वहीं जा बसू ,
मौत आये तो आये वहीं पे मुझे 
अब तो जी में ही जाकर वहीं जा बसू ,
मौत आये तो आये वहीं पे मुझे 
हो मदीने के गलियों का इस मर्तबा 
 इस तरह का फेरा तो क्या बात है 

मेरी किस्मत का मेरे खुदा तू अगर, दूर कर दे अँधेरा तो क्या बात है

हरज की तुम दो तारीख रातो का अब, वो  हरम  में साँवेरा तो क्या बात है

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