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आखिरी कविता - The Last Poem by Jai Ojha l Breakup Poetry

आखिरी कविता - The Last Poem by Jai Ojha l Breakup Poetry

आखिरी कविता lyrics in hindi


मोहब्बत में भले ही कितनी नाराजगियाँ हो, 
गलतफहमियां हो, शिकायत हो, इल्ज़ामात हो या रूश्वाईयाँ हो 
बेरुखियाँ हो फासले हो तोहमते हो रंजीसे हो या अदावते ही रही हो, 
लेकिन आखिरी कविता हमेशा सच्चाई बांया करेंगी

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और इस दुनिया की आखिरी कविता जब भी लिखी जाएगी,
 तो वह प्रेम की कविता होगी,
ये आखिरी कविता है, आखिरी मतलब आखिरी,
आखिरी मतलब मै सच बोलूंगा
आखिरी मतलब मै नहीं दूंगा कोई झूठी तसल्ली कोई झूठा दिलासा
झूठी कसम या झूठा भरोसा
आखिरी मतलब मै नहीं करूँगा नफरते नहीं भेजूँगा लालते  
नहीं करूँगा शिकायते

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आखिरी मतलब मै हिम्मत जुटा कर सच लिखूंगा
कम अल्फाजो में बेहद लिखूँगा,
आखिरी मतलबमै बता दूँगा की मैंने इंतजार में तुम्हे लिखा,
मेरी तलाश में तुम थीमैंने बैकस्पेस में तुम्हे छिपाया
मेरे हर अल्फ़ाज़ में तुम थी
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आखिरी मतलब मै बता दूंगा की हर रोज सुबह,
तुम्हरे मेसेज की उम्मीद में अपना फोन टटोला मैंने
हर शब्द उन कन्वर्सेशन को खोला मैंने,
 खोला बंद किया और फिर खोला मैंने 
हर रोज हर बार उसी गली से गुजरा मैं, 
ये जानते हुए की तुम नहीं हो वहाँ, फिर भी बस वही जा ठहरा मैं,
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आखिरी मतलब मैं बता दूँगा
 की तुम्हरे दिए किसी तोफे को फेंका नहीं मैंने, 
और तुम्हरे बिना कोई हसीन ख्वाब कभी देखा नहीं मैंने,
तुम्हरा दिया हर फूल हर बिखरी पत्ती के साथ सहेजा मैंने,
तुम्हरे खातों को फाड़ दिया गया, 
लेकिन उन कागज के टुकड़ो को फिर समेटा मैंने ,
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आखिरी मतलब मैं ये बता दूँगा,
 की अपनी बाइक का शीशा ठीक वही रखा जहाँ से तुम नजर आती थी,
हमारी वस्ल के बाद उस कमीज को कभी नहीं धोया जिससे तुम्हरी महक आती थी, 
अपने बालो को उतना ही बिगाड़ कर रखा जितना तुम्हे रखना होता था, 
अपनी शर्ट की स्लीव को वही तक लपेटा जहाँ तक तुम्हे ढकना होता था,
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आखिरी मतलब मैं बता दूँगा
 की मैं हर शाम वही मिलता हु, जहाँ हम मिला करते थे 
मैं आज भी उस मोड़ पे रुका रहता हु, जहाँ हम चला करते थे 
मेरे हर अपसाने में आज भी नाम तुम्हरा रहता है 
मेरा किस्सा कोई का हर लब्ज कहानी तुम्हरी कहता है 
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आखिरी मतलब ये भी है कि आज मैं तुमसे कुछ सवालात करूँगा
आखिरी मतलब ये भी है कि आज मैं तुमसे कुछ सवालात करूँगा
तुम्हारे पुराने अक्स से फिर मुलाकात करूँगा 
अच्छा बताओ ना , बताओ ना क्या तुम आज भी वही घड़ी पहनती हो 
गुस्सा आने पर अपना हाथ किसके सीने में पटकती हो 
अच्छा बताओ ना तुम्हरी कलाई अब भी उस कंगन का निशान बनता है 
क्या तुम्हारा केचैन आज भी हमरी कहानी कहता है 
 अच्छा, क्या कोई  है जो अपनी कहानी में तुम्हें बतौर हीर पेश करता है
क्या खुद राँझा बनके  कोई ज़माने से बैर करता है
क्या कोई है जो तुम्हारी जुल्फ  को कान के पीछे सरकता है  
क्या कोई है जो तुम्हारी जुल्फ  को कान के पीछे सरकता है  
या वो जो मोहब्बत के रूहानी किस्से  तुम्हे सुनाता है
क्या कोई है जो तुम्हारे जोर से हसने पर तुम्हारा गम पहचान लेता है 
या वो जो तुम्हारे सहम जाने पर तुम्हरा हाथ थाम लेता है 
अच्छा क्या कोई है जो तुम्हे अपनी कॉपी के आखिरी पन्ने पर लिखता है 
क्या किसीको तुम्हारे आँखों में अपना रहबर दिखता है 
क्या कोई है जो तुम्हारे अंदर छुपी मासूमियत को पहचाना है 
तुम्हारे यौवन से कई गुना ज्यादा तुम्हारे बचपन को जाना है क्या कोई है 
क्या कोई है जो तुम्हारे आंसुओं को पिया है 
जिसने अपने सपनो से ज्यादा तुम्हारे सपनो को जिया है, क्या कोई है 
क्या कोई है जिसे तुम पर इश्क़ से ज्यादा यकीन हुआ है 
जिसने हर दफा तुम्हे नहीं तुम्हरी रूह को छुआ है 
अच्छा बताओ ना, बताओ की तुम अब भी एक दम से दूर चली जाती हो 
क्या तुम अब भी एक दम से दूर चली जाती हो,
क्या तुम अब भी सब कुछ बड़ी जल्दी भूल जाती हो 
क्या अब भी तुम्हारे पास रुकने की कोई वजह नहीं होती 
क्या अब भी तुम्हारे दिल में यादो की कोई जगह नहीं होती   
क्या तुममें और मुझमे उतना ही फर्क है,
क्या हमारी जुदाई का एक ही सीने में दर्द है,
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आखिरी मतलब है ये भी है की हा, मैंने नफरतों में लिखा है तुम्हें 
पर इश्क़ तुमसे हमेशा रहा, 
हर रोज तालुक तोड़ा है तुमसे पर यूँ तालुक तुमसे हमेशा रहा 
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आखिरी मतलब ये भी है की, आज मैं तुम्हारे लिए दुआ करूँगा
कुछ इस तरह तुम्हे मुझसे हमेशा के लिए जुदा करूँगा 
चलो तुम्हारी जिंदगी में बहार आये, तुम्हरी जिंदगी गुलिस्ता हो 
मेरे पास भी मैं रहू और मेरी  आखिरी कविता हो, मेरी आखिरी कविता हो 

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***बरसो बाद भी जख्मो को भरा करेगी मेरी कविताएं 
मैं रहू या ना रहू सदा रहेंगी मेरी कविताये***   
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