GAYAB (ग़ायब) - a poetry by jai Ojha | Lyrics in Hindi
GAYAB (ग़ायब) - A Poetry by Jai Ojha | Lyrics in Hindi
कि तुम तो पक्की बात थे भाई
तुम शायद कैसे हो गए यार
कि तुम तो पक्की बात थे भाई
तुम शायद कैसे हो गए यार
तुम तो छाये हुए थे यहाँ पर
तुम गायब कैसे हो गए यार
तुम तो छाये हुए थे यहाँ पर
तुम गायब कैसे हो गए यार
तुम तो हकीकत थे यहाँ की
तुम फ़साना कैसे हो गए यार
की तुम तो हकीकत थे यहाँ की
तुम फ़साना कैसे हो गए यार
अरे अभी अभी तो आये थे तुम
इतनी जल्दी रवाना कैसे हो गए यार
अरे अभी अभी तो आये थे तुम
इतनी जल्दी रवाना कैसे हो गए यार
की वर्षो पुराना पेड़ थे तुम
अंधी से कैसे हिल गए यार
तुम तो कटने वाले न थे
फिर तुम यूँ कैसे गिर गए यार
तुम तो प्यार थे दुनिया जहा का
तुम नफरत कैसे हो गए यार
तुम तो हासिल थे सब को यहाँ पर
तुम हसरत कैसे हो गए यार
तुमने तो दी नई जिंदगी सबको
फिर तुम खुद कैसे मर गए यार
तुमने तो दी नई जिंदगी सबको
फिर तुम खुद कैसे मर गए यार
तुम तो शान्ति दूत थे ठहरे
लफड़ा कैसे कर गए यार
तुम तो माहिर थे अपने फन के
तुम नौसिखिये कैसे हो गए यार
तुम तो ईमान के पक्के साथी
तुम छलिये कैसे हो गए यार
की तुम तो मालिक थे अपने मन के
तुम माया में कैसे रम गए यार
तुमने तो वक़्त कहा था खुद को
फिर तुम यूँ कैसे थम गए यार
तुम तो दिल में रहिने वाले
तुम बाहिर कैसे हो गए यार
अरे तुम तो बन्दे खुदा के थे
तुम काफिर कैसे हो गए यार
तुम तो ताजा शख्स थे दोस्त
तुम उतरन कैसे हो गए यार
तुम तो चरित्र के पुजारी थे
तुम बच्चलन कैसे हो गए यार
सबके घाव भरते भरते
तुम घायल कैसे गए यार
कि तुम तो पक्की बात थे भाई
तुम शायद कैसे हो गए यार
कि तुम तो पक्की बात थे भाई
तुम शायद कैसे हो गए यार
Post a Comment