ईश्वर का करिश्मा | ईश्वर का चमत्कार: फिंगरप्रिंट का रहस्य

इंसानी शरीर की उँगलियों में लकीरें तब बनने लगती हैं जब इंसान माँ के गर्भ में 4 माह तक पहुँचता है, ये लकीरें एक रेडियोएक्टिव लहर की सूरत में मांस पर

 

ईश्वर का करिश्मा | ईश्वर का चमत्कार: फिंगरप्रिंट का रहस्य

ईश्वर का करिश्मा | ईश्वर का चमत्कार: फिंगरप्रिंट का रहस्य


इंसानी शरीर की उँगलियों में लकीरें तब बनने लगती हैं जब इंसान माँ के गर्भ में 4 माह तक पहुँचता है

ये लकीरें एक रेडियोएक्टिव लहर की सूरत में मांस पर बनना शुरू होती हैं इन लहरों को भी आकार DNA देता है।

मगर हैरत की बात ये है कि पड़ने वाली लकीरें किसी सूरत में भी पूर्वजों और धरती पे रहने वाले इंसानों से मेल नहीं खातीं। 

यानी लकीरें बनाने वाला इस तरह से समायोजन रखता है कि वो खरबों की तादाद में इंसान जो इस दुनियाँ में हैं और जो दुनियाँ में नहीं रहे उनकी उँगलियों में मौजूद लकीरों की शेप और उनके एक एक डिजाइन से अच्छे से परिचित है। 

यही वजह है कि वो हर बार एक नए अंदाज का डिजाइन उसके उँगलियों पर बनाकर के ये साबित करता है... 

है कोई मुझ जैसा निर्माता

है कोई मुझ जैसा कारीगर

है कोई मुझ जैसा आर्टिस्ट

है कोई मुझ जैसा कलाकार ? 


हैरानी की सोच इस बात पर खत्म हो जाती है कि अगर जलने से जख्म लगने या किसी वजह से ये फिंगरप्रिंट मिट जाए तो दुबारा हु बहु वही लकीरें जिनमें एक कोशिका की कमी नहीं होतीदोबारा या बार बार जाहिर हो जाती है। 

*पूरी दुनियाँ मिलकर भी इंसानी उंगली पर अलग अलग लकीरों वाली एक फिंगरप्रिंट नहीं बना सकती 

फिंगरप्रिंट : वैज्ञानिक दृष्टिकोण में एक रहस्य


मानव शरीर पर सभी अंगों में से एक अद्वितीय (unique) और रहस्यमयी (mysterious) हिस्सा है - फिंगरप्रिंट। यह छाप (प्रिंट ) हमारी पहचान का माध्यम बनती है और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इसका अध्ययन अद्वितीयता की दुनिया में हमें ले जाता है। इस लेख में हम वैज्ञानिकता के माध्यम से फिंगरप्रिंट की महत्वपूर्ण विशेषताओं, उपयोगिता और उसके पीछे के गंभीरताओं के बारे में चर्चा करेंगे।


फिंगरप्रिंट का वैज्ञानिक महत्व:

अंगुलियों की छाप मानव शरीर का वैज्ञानिक दस्तावेज है। यह एक अद्वितीय और विशिष्ट रूप में हमारे उँगली प्रिंट के रूप में प्रकट होती है। इसमें कई छोटी-छोटी ऊतकों की व्यवस्था होती है, जिन्हें "डर्मल पैपिला" कहा जाता है। वैज्ञानिक अध्ययन से पता चलता है कि हर व्यक्ति की अंगुली प्रिंट अद्वितीय होती है और किसी और से मेल नहीं खाती है। इसलिए, यह एक पुष्टि तत्व के रूप में उपयोगी होती है जो हमारी पहचान को सुरक्षित रखने में मदद करती है।


फिंगरप्रिंट का निर्माण:

अंगुलियों की छाप का निर्माण भ्रूणीय विकास के दौरान होता है। गर्भवती माता के गर्भ में होने वाले उपचयों के प्रभाव से डर्मल पैपिला बनते हैं, जो बाहरी प्रकाश के प्रभाव में विकसित होते हैं। इन पैपिलाओं की विशेष व्यवस्था हमारे अंगुलियों की छाप को निर्मित करती है।


अंगुलियों की छाप की वैज्ञानिक व्याख्या:

अंगुलियों की छाप के वैज्ञानिक विश्लेषण से हमें इसके वैज्ञानिक विवरणों का पता चलता है। इन छापों का विशेष गुणधर्म है उनकी रेडियोएक्टिविटी, यानी उनमें विद्युत विभाजन होता है। इसका मतलब है कि छाप के भीतर आपस में मिलते हुए ऊतकों के बीच विद्युत अंतरंग क्रम होता है, जो वैज्ञानिक तरीके से परखा जा सकता है। इस वैज्ञानिक गुणधर्म के कारण अंगुलियों की छाप का फोरेंसिक महत्व है, जिससे अपराधों की जांच और निर्धारण में इसका उपयोग होता है।


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