वृन्दावन में हुकुम चले बरसाने वाली का
कान्हा भी दिवाना है श्री राधे रानी का
प्रारंभिक छंद
वृन्दावन में हुकुम चले,
बरसाने वाली का,
मेरा श्याम दिवाना है,
श्री राधे रानी का।
राधा रानी का सर्वत्र प्रभाव
वहां डाली डाली पर,
वहां पत्ते पत्ते पर,
राज राधे का चलता,
गांव के हर रस्ते पर।
चारों तरफ़ डंका बजता,
वृषभानु दुलारी का,
कान्हा भी दिवाना है,
श्री राधे रानी का ॥
कृष्ण के अनेक नाम
कोई नन्दलाल कहता,
कोई गोपाल कहता,
कोई कहता कन्हैया,
कोई बंसी का बजैया।
नाम बदलकर रख डाला,
उस कृष्ण मुरारी का,
कान्हा भी दिवाना है,
श्री राधे रानी का ॥
राधा नाम की महिमा
सबको कहते देखा,
बड़ी सरकार है राधे,
लगेगा पार भव से,
कहो एक बार राधे।
बड़ा गजब का रुतबा है,
उसकी सरकारी का,
कान्हा भी दिवाना है,
श्री राधे रानी का ॥
राधा-कृष्ण की लीलाएँ
तमाशा एक देखा,
जरा ‘बनवारी’ सुन ले,
राधा से मिलने खातिर,
कन्हैया भेष है बदले।
कभी तो चूड़ी वाले का,
और कभी पुजारी का,
कान्हा भी दिवाना है,
श्री राधे रानी का ॥
समाप्ति छंद
वृन्दावन में हुकुम चले,
बरसाने वाली का,
मेरा श्याम दिवाना है,
श्री राधे रानी का।
राधा रानी की महिमा के विशेष पहलू
- वृन्दावन की हर डाली और हर पत्ता राधा के राज का गुणगान करता है।
- कृष्ण स्वयं राधा रानी के प्रेम में डूबे हुए हैं।
- राधा नाम का स्मरण भवसागर से पार लगाने वाला है।
- राधा-कृष्ण की लीला दिव्य प्रेम का सर्वोच्च उदाहरण है।