मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता- Kumar Sambhav

दो पल जो तुम रुक जाते तो अपना शौर्य दिखा देता और दो पल जो तुम रुक जाते तो अपना शौर्य दिखा देता मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता मुरली

नमस्कार, हम सब जानते है की महाभारत में कर्ण कितना बड़ा योध्या था| महावीर कर्ण के साथ बहुत अन्याय भी हुए| उस अन्याय के ऊपर एक छोटी सी कविता, जिसमे कर्ण के साथ उसकी माँ ने क्या अन्याय किया, पिता ने क्या अन्याय किया, उनके गुरुओं ने क्या अन्याय किया उन सब की कहानी |  जो मैंने आज सुना और मुझे बहुत ही अच्छी लगी इसीलिए वही कविता मैं आपको भी प्रस्तुत कर रहा हु| यह कविता मेरी नहीं है मैंने सिर्फ सुनी और आपको प्रस्तुत कर रहा हु| इस कविता का पूरा Credit इस कविता के राइटर (Mr. Kumar Sambhav Ji) को जाता है| 

  मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता 

मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता


सारा जीवन श्रापित श्रापित हर रिशता बेनाम कहो 

मुझको ही छलने के खातिर मुरली वाले श्याम कहो 

तो किसे लिखु मै प्रेम की पाती 

किसे लिखु मै प्रेम की पाती कैसे कैसे इंसान हुये 

कि किसे लिखु मै प्रेम की पाती कैसे कैसे इंसान हुये 

अरे रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये 

रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये


  मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता Lyrics


कि मन कहता है मन करता है,कुछ तो माँ के नाम लिखु 

कि मन कहता है मन करता है,कुछ तो माँ के नाम लिखु 

और एक मेरी जननी को लिख दु, एक धरती के नाम लिखु 

प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा धरती संताप नही देती 

कि प्रश्न बड़ा है मौन खड़ा धरती संताप नही देती 

और धरती मेरी माँ होती तो,मुझको श्राप नही देती 

तो जननी माँ ने वचन लिया, जननी माँ ने वचन लिया अर्जुन का काल नही हुँ मै कि जननी माँ ने वचन लिया 

अर्जुन का काल नही हुँ मै 

अरे जो बेटा गंगा मे छोड़े,उस कुंती का लाल नही हुँ मैं 

जो बेटा गंगा मे छोड़े,उस कुंती का लाल नही हुँ मैं 

तो क्या लिखना इन्हे प्रेम की पाती 

क्या लिखना इन्हे प्रेम की पाती,जो मेरी ना पहचान हुये 

अरे रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये 


कि सारे जग का तम हरते बेटे का तम ना हर पाये 

कि सारे जग का तम हरते बेटे का तम ना हर पाये 

इंद्र ने विषम से कपट किये,बस तुम ही सम ना कर पाये 

अर्जुन की सौगंध की खातिर,बादल ओट छुपे थे तुम 

और श्री कृष्ण के एक इशारे कुछ पल अधिक रुके थे तुम 

तो पार्थ पराजित हुआ जो मुझसे, तुम को रास नही आया 

पार्थ पराजित हुआ जो मुझसे, तुम को रास नही आया 

मेरा देख कला कौशल कोई भी पास नही आया 

दो पल जो तुम रुक जाते तो,

दो पल जो तुम रुक जाते तो अपना शौर्य दिखा देता 

और दो पल जो तुम रुक जाते तो अपना शौर्य दिखा देता

मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता 

मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता 

बेटे का जीवन हरते हो 

बेटे का जीवन हरते हो,तुम कैसे दिनमान हुये 

रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये


 मुरली वाले के सम्मुख अर्जुन का शीश गिरा देता Lyrics


पक्षपात का चक्रव्युह क्यो द्रोण नही तुम से टूटा 

कि पक्षपात का चक्रव्युह क्यो द्रोण नही तुम से टूटा 

और सर्वश्रेष्ट अर्जुन ही हो,बस मोह नही तुम से छूटा 

एकलव्य का लिया अंगूठा,मुझको सूत बताते हो 

एकलव्य का लिया अंगूठा,मुझको सूत बताते हो 

अरे खुद दौने में जन्म लिया और मुझको जात दिखाते हो 

अब धरती के विश्व विजेता परशूराम की बात सुनो 

अरे एक झूठ पर सब कुछ छीना नियती का आघात सुनो 

तो देकर भी जो ग्यान भुलाया, देकर भी जो ग्यान भुलाया कैसा शिष्टाचार किया?

अरे देकर भी जो ग्यान भुलाया कैसा शिष्टाचार किया अरे दानवीर इस सूर्यपुत्र को तुमने जिंदा मार दिया 

कि दानवीर इस सूर्यपुत्र को तुमने जिंदा मार दिया 

कि दानवीर इस सूर्यपुत्र को तुमने जिंदा मार दिया 

फिर भी तुमको ही पूजा है तुम ही बस सम्मान हुये 

अरे रणभूमि में छल करते हो तुम कैसे भगवान हुये ?


निष्कर्ष

इस कविता में मन में ऐसा लगा की ये कविता ख़तम क्यों हो गई| आपको कैसी लगी ये कविता, कृपया अपना बहुमूल्य विचार कमेंट में बताये, और अगर आपको ये कविता अच्छी लगी हो तो कृपया इसे शेयर करे|

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1 comment

  1. आभार तिवारी जी
    आपने मेरी कविता को इतना मान दिया
    आपसे बात होगी तो अच्छा लगेगा
    9424572476
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