Diwali 2022 : कैसे करें इस दिवाली पूजा जाने सही विधि और शुभ मुहूर्त
नमस्कार, दिवाली भारत में मनाया जाने वाला सबसे बड़े त्योहारो में से एक है, यह त्योहार भारत में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाने वाला रोशनी का त्योहार है।भारत के हर एक कोने-कोने में लोग इस त्योहार को बड़े ही उत्साह के साथ स्वागत करते हैं। दिवाली का त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है की हिंदू धर्म के दूसरे महाकाव्य रामायण के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन ही भगवान श्री राम माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ लंका पर विजय प्राप्त करके अयोध्या वापस लौटे थे। भगवान श्रीराम, माता सीता और लक्ष्मण जी के आने की खुशी में पूरा अयोध्या झूम उठा था और दीयों के प्रकाश से उन तीनों का स्वागत किया गया था। इसलिए इस दिन को भगवान श्री राम के जीत की खुशी के तौर पर पुरे देश भर में मनाया जाता है। इस बार की दिवाली का यह पर्व 24 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जायेगा। दिवाली में माता लक्ष्मी जी कि पूजा का एक विशेष महत्व या विधान है। ऐसी मान्यता है कि दिवाली के दिन यदि माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना पूरे विधि विधान से कि जाए तो मां लक्ष्मी आप पर अवश्य प्रसन्न होती है और आपको मनवांछित फल प्रदान करती हैं। लेकिन अक्सर पूजा करते समय लोग को सही पूजन विधि की जानकारी नहीं होती है और इस कारणवश वे गलत ढंग से पूजा हो जाती हैं। तो चलिए आज आपको बताते हैं कि मां लक्ष्मी कि पूजा करने की सही तैयारी और पूजन विधि के बारे में। और साथ में जानेगे इस दिवाली 2022 के शुभ मुहूर्त के बारे में भी|
क्या है दिवाली की पूजन की सामग्री ?
दिवाली की पूजा पुरे विधि विधान से करने के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होगी-
- मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, कुमुकम, रोली, सुपारी
- नारियल, अक्षत (चावल), आम के पत्ते
- हल्दी, दीप, धूप, कपूर, रूई
- मिटटी के दीपक, पीतल का दीपक
- कलावा, दही, शहद, गंगाजल
- फूल, फल, गेहूं, जौ, दूर्वा
- सिंदूर, चंदन, पंचामृत
- बताशे, खील, लाल वस्त्र,चौकी
- कमल गट्टे की माला, कलश, शंख, थाली
- चांदी का सिक्का, बैठने के लिए आसन
- और प्रसाद
आइये जानते हैं माँ लक्ष्मी पूजन की तैयारी कैसे करें -
- जैसा कि हम सब जानते हैं कि मां लक्ष्मी स्वच्छ स्थान पर ही रहती हैं, इसलिए सबसे पहले प्रातः काल पूरे घर कि अच्छी तरह से साफ़ सफाई करें |
- स्नानादि के बाद घर के मंदिर को अच्छे सजाये और दीपक जलाएं।
- शाम के समय पूजा करने से पहले पूरे घर में गंगाजल छिड़काव कर पूरे घर का शुद्धिकरण करें।
- इसके बाद एक साफ चौकी रखें और चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं।
- कपड़े के बीच में एक मुट्ठी गेहूं रखें और गेहूं के ऊपर थोड़ा सा जल से भरा हुआ एक कलश स्थापित करें।
- अब कलश के अंदर एक सिक्का, सुपारी, गेंदे का फूल और अक्षत डाल के रखें।
- कलश पर आम या अशोक के पांच पत्ते भी लगाएं । अब कलश को एक छोटी सी कटोरी या प्लेट रखें और उस प्लेट में थोड़ा सा चावल रखें|
- इसके उपरांत कलश के बगल में चौकी में बचे स्थान पर हल्दी और कुमकुम से चौक बनाएं और उस पर मां लक्ष्मी कि प्रतिमा स्थापित करे।
- एक बात का विशेष ध्यान रखें कि मां लक्ष्मी के दाहिने ओर ही गणेश जी की प्रतिमा रखें.
- इसके बाद एक थाली में हल्दी,कुमकुम और अक्षत रखें और साथ ही दीपक भी जला कर के रखें।
क्या है माँ लक्ष्मी की पूजन विधि
- सबसे पहले कलश को तिलक लगाकर दिवाली / माँ लक्ष्मी की पूजा आरम्भ करें।
- अपने हाथ में फूल और चावल लेकर सच्चे मन से मां लक्ष्मी का ध्यान करें।
- ध्यान करने के बाद भगवान श्री गणेश और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर फूल और अक्षत चढ़ाये।
- अब दोनों प्रतिमाओं यानि श्री गणेश और माँ लक्ष्मी को चौकी से उठाकर एक थाली में रखें और दूध, दही, शहद, तुलसी और गंगाजल के मिश्रण से स्नान कराएं।
- इसके बाद स्वच्छ जल से स्नान कराकर वापस चौकी पर विराजित कर दें ।
- स्नान कराने के बाद लक्ष्मी-गणेश की प्रतिमा को टीका लगाएं। फिर लक्ष्मी गणेश जी को हार पहनाएं।
- इसके बाद लक्ष्मी गणेश जी के सामने खीले-खिलौने, बताशे, मिठाइयां फल, पैसे और सोने के आभूषण रखें।
- इसके बाद पूरा परिवार मिलकर गणेश जी और लक्ष्मी माता की कथा सुनें और फिर मां लक्ष्मी की आरती उतारें।
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