Short Motivational Story in Hindi for Success

इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में हर इंसान लगभग हर दिन जिंदगी से लड़ता है, और अपने हिस्से की खुशिया इक्कठा करता है पर वो इंसान है मशीन नहीं वो भी थकता है, मायूस होता है, और कभी कभी तो इतना मायूस हो जाता है की उसे लगने लगता है की अब वो कुछ नहीं कर सकता| पर वास्तव में इंसान कुछ भी कर सकता है| आज हम कुछ 3 छोटी छोटी मोटिवेशनल कहानियाँ पढ़ेंगे जिन्हे पढ़ कर निश्चित ही आपका मन फिर से शांत हो जायेगा|

Short Motivational Story in Hindi for Success

1. World's Most Peaceful Painting / दुनिया की सबसे शांतिपूर्ण पेंटिंग

एक आर्ट पेंटिंग गैलरी ने एक बार अन्नोउंस करवाया की जो भी दुनिया की सबसे पीसफुल पेंटिंग बनायेगा उसे 10 मिलियन डॉलर दिए जायेंगे| चुकि विनिंग अमाउंट बहुत बड़ा था इसलिए दुनिया के सबसे बड़े बड़े पेंटर, पेंटिंग बनाने लगे और उस दिन का इंतजार करने लगे जिस दिन पेंटिंग को जज किया जाना था| दुनिया से बहुत सारी पेंटिंग आई उनमें से 100 पेंटिंग सेलेक्ट की गई| 

एक से बढ़कर एक पेंटिंग आई थी जिसे देख कर मन में शांति की भावना आ जाये, जसमें से एक पेंटिंग जिसमें सूरज निकल रहा है और मौसम इतना साफ़ की मानो सीसा हो, पहाड़ों के बीच बहता पानी जो एक दम शांत गति से बह रहा है, हरे हरे पड़े इन सब दृश्य को देख के मन को बड़ी शांति मिल रही थी|   

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दूसरी पेंटिंग जिसमे रात में चाँद निकला हुआ है और किसी सरोवर का शांत जल उसके बीच में एक पुल और वो जल एक दम सीसा जैसा साफ़ मनो शांति की परिभाषा कह रहा हो|  

Short Motivational Story in Hindi for Success

और आखिर वो समय आ ही गया जिस समय को सब को इंतजार था यानि के पेंटिंग के रिजल्ट का समय| जो पेंटिंग को जज थे वो उस पेंटिंग को सामने रखते है तो सबकी आँखे फटी की फटी रह गई क्युकी वो पेंटिंग कही से पीस को डिफाइन नहीं कर रही थी क्युकी उस पेंटिंग में तूफान था, बिजली कड़क रही थी|

Short Motivational Story in Hindi for Success

तो वहां पर आये सभी पेंटर आश्चर्य से पूछते है की कही आपने यह पेंटिंग गलती से तो नहीं रख दी क्युकी इस पेंटिंग में कही से कही तक पीस / शांति तो दिख ही नहीं रही है, इतना तूफान, बिजली कड़क रही है, इसमें पीस कहा है| 

तब जो जज थे वो थोड़ा मुस्कुराये और कहा की आप लोग उस पेंटिंग को फिर से देखे उस पेंटिंग में तूफान, बजली के साथ साथ एक झोपडी है और उस झोपडी की खिड़की से झांकता एक आदमी जो मुस्कुरा रहा है| उसे कोई फर्क नहीं पद रहा की बाहर क्या चल रहा है वो अंदर से खुश है, शांत है और यही है असली पीस| 

निष्कर्ष - शांति का मतलब ये नहीं बाहर से सब शांत हो, शांति का असली मतलब तो अंदर की शांति है| जो इंसान अंदर से शांत नहीं है वह कितनी भी अच्छी जगह में चला जाये वह शांत नहीं रह सकता और जिसके अंदर शांति है उसे कोई फर्क नहीं पड़ता बाहर क्या हो रहा है| 

2. अपनी नज़र को बदलो 

एक बार की बात है एक बहुत बड़ा नेता एक एक साधु के पास जाता है, क्युकी वो उस साधू के बारे में बहुत कुछ अच्छा अच्छा सुन रखा था| लोग उस साधू की बहुत प्रसन्नता करते थे की साधू बहुत ही ज्ञानी है| नेता जी को लगा की लोग मुझसे ज्यादा उस साधू की तारीफ कैसे कर सकते है|

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वो नेता साधू के पास जाता है और देखता है की साधू एक आसन में बैठे है, कर उनके आस पास कुछ लोग बैठे है, जो साधू की बातों को बड़ी गम्भीरता से सुन रहे थे| बड़ी देर तक जब साधू उस नेता की तरफ नहीं देखा तो नेता को गुस्सा आ गया और वो साधू को बीच में टोकते हुए बोला की सुनिए मुझे आपसे कुछ बात करनी है| साधू मुस्कुराये और कहा की आप थोड़ा रुकिए मै पहले इनके सवालो के जवाब दे दू फिर आपसे बात करता हु तब तक चाहे तो आप बैठ सकते है| 

इतना सुनते ही नेता गुस्से से लाल हो गया क्युकी इससे पहले किसी ने उस नेता से ऐसे बात नहीं की थी| नेता गुस्से में लाल पीला हो के फिर बोला पर अबकी बार आप   से तू में आ गया और बोला की तू मुझे जानता नहीं की मैं कौन हु| साधू थोड़ा सा मुस्कुराये और बोले मुझे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आप कौन है, पर अगर आप चाहते है की मैं आपसे बात करू आपके सवाल के जवाब दू तो आपको थोड़ा रुकना होगा|      

साधू के इतना कहते ही नेता गुस्से से आग बबूला हो गया और वही चीखने चिल्लाने लगा की तू जनता भी है की मैं तेरे बारे में क्या सोचता हु| साधू फिर थोड़ा मुस्कुराये और जवाब दिया की मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता की आप मेरे बारे में क्या सोचते है आप जो मर्जी मेरे बारे में सोच सकते है| नेता और तेज गुस्सा आया और तेज तेज चिल्लाने लगा की तूने मुझसे पन्गा लेके अच्छा नहीं किया अब मैं तेरे औकात दिखाऊंगा, तू कोई साधू नहीं है ठोगी है तू लोगो को लूटने का काम करता है , और वहा से जाने लगता है और बोलता है की अभी भी समय अगर तू मुझसे माफ़ी  मांगना चाहता है या कुछ बोलना चाहता है तो कह सकता है| साधू थोड़ी के लिए आंखे बंद की फिर आँखे खोल के हाथ जोड़ कर बोलते है की श्रीमान मुझे आपसे कोई गिला नहीं है मुझे आप में कोई बुराई नहीं दिखती, मुझे आप एक भले इंसान लगते है और आपने जो मेरे बारे में जो कुछ कहा वो आपकी सोच है| मुझे आपसे कोई शिकायत नहीं है| 

साधू के इतना कहते ही नेता सातवें आसमान था क्युकी साधू ने भी वही कहा जो उस नेता के बारे में सब लोग कहते थे| नेता वहा से चला जाता है और घर जा के अपने पिता के पास जाता है उसके पिता ध्यान कर रहे थे इसलिए वह वही पर बैठ गया| उसके पिता ध्यान से बहार आते है तो देखते है की उनका बेटा सामने बैठा था और उसके चेहरे में अजीब सी चमक थी| उस नेता ने आपने पिता को सब कुछ विस्तार से बताया की आज वो एक साधू के पास गया और उसने क्या कहा और मैंने क्या कहा| 

उसके पिता सब सुनने के बाद कहा की उस साधू ने वह नहीं कहा जो तुम सुनना चाहते थे, बल्कि वो कहा जैसे वो खुद है, और तुमने जो कुछ उन्हें कहा वैसे तुम हो वो नहीं क्युकी हम जैसे होते है वैसे ही दुसरो को समझते है|

निष्कर्ष- यही बात वेदों में भी कही गई है की यथा दृष्टि तथा सृष्टि, ये दुनिया वैसी नहीं दिखती जैसी ये दुनिया है, ये दुनिया वैसी दिखती है जैसे तुम खुद हो| जिसकी नज़र जैसी है उसके लिए ये दुनिया वैसी है| तो अगर तुम अपनी दुनिया को बदलना चाहते हो तो उसका सिर्फ एक ही तरीका है अपनी नज़र को बदलो|

3. कैसे करे बुरी परिस्थिति का सामना?

एक बार एक लड़के ने एक एंट्रन्स एग्जाम दिया और उसका उस एग्जाम में नहीं होता, तो वह लड़का दुखी रहने लगा, खाना पीना सब बंद हो गया, खोया खोया सा रहने लगा| उसकी ये हालत उसके पिता से देखी नहीं गई और एक दिन वो अपने बेटे के पास गए और कहा की मुझे तुम्हे कुछ दिखना है और वो उसे किचन में ले के गए| बेटे का कही भी जाने का मन नहीं था पर वो पिता की बात नहीं टाल सका और वो किचन में गए|  

उसके पिता ने गैस के तीन चूल्हे में तीन बर्तन रख दिए और उनमे तीन अलग अलग चीज पानी में उबलने के लिए रखी|  पहली थी आलू दूसरे थे अंडे और तीसरे थी कॉफ़ी बीन्स| तीनो को लगभग 15 - 20 मिनट्स तक उबलने दिया और उसके बाद गैस बंद की और तीनो बर्तन से तीनो चीज निकली|  

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पहली आलू जो गरम पानी में जाने के पहले बहुत ही सख्त थे और गरम पानी में जाते ही अंदर से बिखर गए, और दूसरे थे अंडे जो गरम पानी में जाने से पहले बहुत ही नरम थे और गरम पानी में जाते ही सख्त हो गए, और तीसरी थी कॉफ़ी बीन्स जो गरम पानी में जाते ही खुद को ही नहीं पानी को भी बदल दिया| 

यही है जिंदगी कुछ लोग बुरी परिस्थिति आने पर आलू की तरह बिखर जाते है, तो कुछ लोग अंडे की तरह बुरी परिस्थिति आने पर अंदर से एक दम कठोर हो जाते है, और कुछ लोग कॉफ़ी बीन्स की तरह होते है जो बुरी परिस्थिति आने पर परिस्थिति को ही बदल देते है| अब ये आप पर है की आप किस केटेगरी आते है, आलू की, अंडे की या फिर कॉफ़ी बीन्स की

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