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तेरी याद आती है By Kumar Vishwas

हर एक खोने हर एक पाने में तेरी याद आती है नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ समंदर पार वीराने मे

नमस्कार, आज हम फिर से कुमार विश्वास जी की एक और दिल को छूने वाली कविता लेके आया है, और वह कविता है  "तेरी याद आती है"|  इस कविता में, एक ऐसा एहसास होता है की कब कब एक प्रेमी को अपने प्रेमिका और एक प्रेमिका को एक प्रेमी की याद आती है| 

हर एक खोने हर एक पाने में तेरी याद आती है


 तेरी याद आती है

हर एक खोने हर एक पाने में तेरी याद आती है

नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है

तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ

समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है


हर एक खाली पड़े आलिन्द तेरी याद आती है

सुबह के ख्वाब के मानिंद तेरी याद आती है

हेलो, हे, हाय! सुन के तो नहीं आती मगर हमसे

कोई कहता है जब “जय हिंद” तेरी याद आती है

कोई देखे जनम पत्री तो तेरी याद आती है


कोई देखे जनम पत्री तो तेरी याद आती है

कोई व्रत रख ले सावित्री तो तेरी याद आती है

अचानक मुश्किलों में हाथ जोड़े आँख मूंदे जब

कोई गाता हो गायत्री तो तेरी याद आती है


सुझाये माँ जो मुहूर्त तो तेरी याद आती है

हँसे जब बुद्ध की मूरत तो तेरी याद आती है

कहीं डॉलर के पीछे छिप गए भारत के नोटों पर

दिखे गाँधी की जो सूरत तो तेरी याद आती है


अगर मौसम हो मनभावन तो तेरी याद आती है

झरे मेघों से गर सावन तो तेरी याद आती है

कहीं रहमान की जय हो को सुन कर गर्व के आंसू

करें आँखों को जब पावन तो तेरी याद आती है



कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है

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