Holi 2022: क्यों और कब मनाते है होली ? होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

Holi 2022: क्यों और कब मनाते है होली ? होलिका दहन का शुभ मुहूर्त, होली का त्यौहार कब मनाया जाता है?, 2022 में होलिका दहन कब है? और होलिका दहन का शुभ म

"होली" अगर इस शब्द को आप गूगल करेंगे तो पाएंगे की पहली जो साइट आपके सामने आएगी वह है विकिपीडिया, जिसमे बताया गया की होली एक लोकप्रिय प्राचीन हिंदू त्योहार है, और  इसे "प्यार का त्योहार" और "रंगों का त्योहार भी कहा जाता है, और साथ में यह भी कहा जाता है की यह बसंत का त्यौहार है, और इन सब कहानियों में जो सबसे अधिक और लोकप्रिय है वह है की राधा रानी और श्री कृष्ण ने अपने प्रेम में रंगो और गुलाल के साथ यह त्यौहार मनाया था| ऐसी बहुत सारी मान्यताये है, कुछ सही कुछ गलत इसलिए आज हम जानेंगे की यह होली का त्यौहार कब और क्यों मनाना जाता है और इसके पीछे कौन कौन सी कहानियाँ है|  

Holi 2022: क्यों और कब मनाते है होली ? होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

Table of Content

  • होली का त्यौहार कब मनाया जाता है?
  • 2022 में होलिका दहन कब है? और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त |
  • 2022 में होली कब है?
  • क्यों मनाई जाती है होली ?

होली का त्यौहार कब मनाया जाता है?

"HOLI" यह फाल्गुन मास के हिंदू कैलेंडर महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा की शाम से शुरू होकर एक रात और एक दिन तक चलता है| जो मार्च महीने के मध्य में आता है| शाम को होलिका दहन या छोटी होली और अगले दिन होली, रंगवाली होली, डोल पूर्णिमा, धुलेती, धुलंडी, उकुली, मंजल कुली के रूप में जाना जाता है। या फगवा, होली वसंत के आगमन, और सर्दियों के अंत माना जाता है| और कई लोगों के लिए, यह दूसरों से मिलने, खेलने और हंसने, भूलने और माफ करने और टूटे हुए रिश्तों को सुधारने का उत्सव का दिन है। यह त्योहार एक वसंत फसल के मौसम की शुरुआत का भी जश्न मनाता है।

2022 में होलिका दहन कब है? और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

  • Date:- गुरुवार, 17 मार्च 2022
  • Time:- रात्रि 9 बजकर 20 मिनट से 10 बजकर 31 मिनट तक
इसके दूसरे दिन यानी शुक्रवार 18 मार्च 2022 को रंगवाली होली है|

कुछ पौराणिक कहानियाँ पुराणों के अनुसार

1. प्रह्लाद की कहानी 

राक्षसराज हिरण्यकश्यप ने जब देखा कि उसका पुत्र प्रह्लाद शिवाय विष्णु भगवान के किसी अन्य को नहीं पूजता, तो वह क्रोधित हो उठा और जब सारी कोशिश के बाद भी नहीं समझा पाया तब उसने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान प्राप्त था कि उसे अग्नि नुक़सान नहीं पहुंचा सकती। किन्तु हुआ इसके ठीक विपरीत, होलिका जलकर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ। इसी घटना की याद में इस दिन होलिका दहन करने का विधान है। होली का पर्व संदेश देता है कि इसी प्रकार ईश्वर अपने अनन्य भक्तों की रक्षा के लिए सदा उपस्थित रहते हैं।

2. कामदेव की कहानी

होली की एक कहानी कामदेव की भी है। पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं लेकिन तपस्या में लीन शिव का ध्यान उनकी तरफ गया ही नहीं। ऐसे में प्यार के देवता कामदेव आगे आए और उन्होंने शिव पर पुष्प बाण चला दिया। तपस्या भंग होने से शिव को इतना गुस्सा आया कि उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल दी और उनके क्रोध की अग्नि में कामदेव भस्म हो गए। कामदेव के भस्म हो जाने पर उनकी पत्नी रति रोने लगीं और शिव से कामदेव को जीवित करने की गुहार लगाई। अगले दिन तक शिव का क्रोध शांत हो चुका था, उन्होंने कामदेव को पुनर्जीवित किया। कामदेव के भस्म होने के दिन होलिका जलाई जाती है और उनके जीवित होने की खुशी में रंगों का त्योहार मनाया जाता है।


2022 में होली कब है?

Date:- शुक्रवार, 18 मार्च 2022
होली हिंदुओं का मुख्य त्योहार माना जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे को रंग लगाते हैं.होली हिंदूओं का प्रमुख धार्मिक त्योहार है. होली को रंगों के त्योहार के नाम से भी जाना जाता है. दीपावली के बाद होली को हिंदुओं का मुख्य त्योहार माना जाता है. होली का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है. इस साल होली का त्योहार 18 मार्च 2022 को मनाया जाएगा| 

क्यों मनाई जाती है होली ?

राक्षसराज हिरण्यकश्यप अपने छोटे भाई की मृत्यु का बदला लेना चाहता था, जिसे भगवान विष्णु ने मार था। इसलिए बदला लेने की सोच से उसने ब्रह्मा जी से  वरदान लिया की उसे कोई न घर के अंदर, और न घर के बाहर, न दिन में, न रात में मार पाए। और इसके साथ ही वरदान मिलने के बाद हिरण्यकश्यप खुद को भगवान मानने लगा और अपने लोगों से उसे भगवान की तरह पूजने को कहा।

हिरण्यकश्यप को एक बेटा हुआ उसका नाम प्रहलाद रखा गया, जो भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त हुआ। प्रहलाद ने कभी अपने पिता के आदेश का पालन नहीं किया और भगवान विष्णु की पूजा करता रहा। हिरण्यकश्यप इतना कठोर था कि उसने अपने ही बेटे को मारने का फैसला किया, क्योंकि उसने उसकी पूजा करने से इनकार कर दिया था।
होलिका दहन

हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया की प्रहलाद को गोद में लेके चिता में बैठ जाए, होलिका को वरदान था की अग्नि उसे नुकसान नहीं पहुंचाएगी| लेकीन ऐसा हुआ नहीं होलिका अग्नि में जलकर भस्म हो गई और प्रहलाद भगवान विष्णु का नाम जपते जपते बाहर आ गए| होलिका इसलिए जल कर भस्म हो गई वरदान के वावजूद भी, क्युकी उसे जो वरदान था वह यह था की वह किसी की जान बचाने के लिए आग में जाएगी तो आग उसका कुछ नहीं करेगी, जबकि होलिका प्रहलाद को मारना चाहती थी|  

Post a Comment

Cookie Consent
We serve cookies on this site to analyze traffic, remember your preferences, and optimize your experience.
Oops!
It seems there is something wrong with your internet connection. Please connect to the internet and start browsing again.
AdBlock Detected!
We have detected that you are using adblocking plugin in your browser.
The revenue we earn by the advertisements is used to manage this website, we request you to whitelist our website in your adblocking plugin.
Site is Blocked
Sorry! This site is not available in your country.