हे सूरज इतना याद रहे , संकट एक सूरज | हनुमान जी की विनम्रता
हे सूरज इतना याद रहे , संकट एक सूरज
ये घटना तब की है जब मेघनाथ के बाण से भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण पर प्राण घातक वार हुआ, और वैद्य द्वारा बताया गया की लक्ष्मण जी के प्राण केवल संजीवनी से बचाया जा सकता है वह भी सूर्यवोदय से पहले आ जाये तब |
हनुमान बहुत शक्तिशाली हैं, लेकिन उनका पूजन इसलिए कि वो विनम्र बहुत हैं।
जब लक्ष्मण को मूर्छा आई और भगवान ने सोचा कि मेरा ये सबसे बड़ा संकट कौन हर सकता है? देखो भगवान सबके संकट हरते। भगवान के जीवन पर संकट आया उन्होंने किसको पुकारा। उन्होंने हनुमान से कहा कि तुम जाओ और संजीवनी ले आओ |
तो जब आकाश में हनुमान चले तो सूरज निकला हुआ था। आकाश में तो सूरज होता ही है|
दिन कभी डूबता नहीं है। हमारी मां पृथ्वी हमें गोदी में लेकर हमारे पिता सूरज की ओर से पीठ कर लेती है। मां को दोष दे नहीं सकते तो पिता को दोष देते हैं कि दिन डूब गए, दिन कभी डूबता। सूर्य कभी अस्त नहीं होता।
सूरज कभी डूबता नहीं है। अच्छा जब सूरज आकाश में मिला और अगर सूरज इधर निकल जाता, जहां लक्ष्मण लेटे हुए थे तो भगवान के जीवन का सबसे बड़ा संकट आ जाता। उनका भुजा जैसा भाई जिसे वो अपनी भुजा कहते हैं वो पृथ्वी छोड़ जाता। और भगवान सहन न कर पाते|
तो इतना बड़ा काम करने गए। हनुमान कितने ताकतवर थे। पंचतत्वों में से एक पवन के बेटे, सूरज से मिले तो बोले, कितनी विनम्रता से बात की, सूरज से बोले
हे सूरज इतना याद रहे, संकट एक सूरज वंश में है। विनम्रता देखना आप कितने पोलाइट।
हे सूरज इतना याद रहे, संकट एक सूरज वंश में है। लंका के नीच राहु द्वारा आघात दिनेश अंश पर है।
मेरे आने से पहले, यदि किरणों का चमत्कार होगा| तो सूर्यवंश में सूर्यदेव निश्चित ही अंधकार होगा।
कितना प्यार से बोला देखो आप।
इसलिए छिपे रहना भगवन,
जिसने राम के अलावा किसी को भगवान नहीं माना। वो हनुमान सूर्य से कह रहे।
इसलिए छिपे रहना भगवन जब तक जड़ी पंहुचा दूँ मै|
बस तभी प्रकट होना भगवन, जब संकट निशान मिटा दूँ मै| मैं आशा है स्वल्प प्रार्थना
यह जरा सी प्रार्थना सच्चे दिल से स्वीकार होंगे।
आतुर की करुणार्थ अवस्था को सच्चे दिल से स्वीकरोगे|
आठ लाइन की विनती के बाद धीमे से अपना विजिटिंग कार्ड दिया। सूरज को। शक्ति पाना। यश पाना लेकिन विनम्र रहना।
आशा है स्वल्प प्रार्थना। यह सच्चे दिल से स्वीकरोगे
अन्यथा क्षमा करना दिनकर अंजनी तनय से पाला है।
बचपन से जान रहे हो तुम हनुमत कितना मतवाला है।
धमकी भी कैसी दी कितनी विनम्रता से ऐसा कोई नहीं बोलता, ऐसे बनना
आशा है स्वल्प प्रार्थना। यह सच्चे दिल से स्वीकरोगे
अन्यथा क्षमा करना दिनकर, अंजनी तनय से पाला है।
बचपन से जान रहे हो तुम, हनुमत कितना मतवाला है।
मुख में तुमको धर रखने का फिर वही क्रूर साधन होगा ,
बंदी मोचन तब होगा जब लक्ष्मण का दुख मोचन होगा |
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