मकर संक्रांति 15 जनवरी विशेष

भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। पानी में तिल मिलाकार स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए।

मकर संक्रांति 15 जनवरी विशेष
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मकर संक्रांति का पौराणिक महत्व
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मकर संक्रांति 15 जनवरी विशेष


शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात्रि अर्थात् नकारात्मकता का प्रतीक तथा उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। ऐसी धारणा है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है। इस दिन शुद्ध घी एवं कम्बल का दान मोक्ष की प्राप्ति करवाता है।

मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की. इस समय सूर्य उत्तरायण होता है अतः इस समय किये गए जप और दान का फल अनंत गुना होता है मकर संक्रान्ति के अवसर पर गंगास्नान एवं गंगातट पर दान को अत्यन्त शुभ माना गया है। इस पर्व पर तीर्थराज प्रयाग एवं गंगासागर में स्नान को महास्नान की संज्ञा दी गयी है। सामान्यत: सूर्य सभी राशियों को प्रभावित करते हैं, किन्तु कर्क व मकर राशियों में सूर्य का प्रवेश धार्मिक दृष्टि से अत्यन्त फलदायक है। यह प्रवेश अथवा संक्रमण क्रिया छ:-छ: माह के अन्तराल पर होती है। भारत देश उत्तरी गोलार्ध में स्थित है। मकर संक्रान्ति से पहले सूर्य दक्षिणी गोलार्ध में होता है अर्थात् भारत से अपेक्षाकृत अधिक दूर होता है। इसी कारण यहाँ पर रातें बड़ी एवं दिन छोटे होते हैं तथा सर्दी का मौसम होता है। किन्तु मकर संक्रान्ति से सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू हो जाता है। अतएव इस दिन से रातें छोटी एवं दिन बड़े होने लगते हैं तथा गरमी का मौसम शुरू हो जाता है। दिन बड़ा होने से प्रकाश अधिक होगा तथा रात्रि छोटी होने से अन्धकार कम होगा। अत: मकर संक्रान्ति पर सूर्य की राशि में हुए परिवर्तन को अंधकार से प्रकाश की ओर अग्रसर होना माना जाता है। प्रकाश अधिक होने से प्राणियों की चेतनता एवं कार्य शक्ति में वृद्धि होगी।
          

मकर संक्रांं‍ति पूजा व‍िध‍ि

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भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए। पानी में तिल मिलाकार स्नान करना चाहिए। अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए। इस द‍िन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है।इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पंचोपचार विधि से पूजा-अर्चना करनी चाहिए इसके बाद यथा सामर्थ्य गंगा घाट अथवा घर मे ही पूर्वाभिमुख होकर यथा सामर्थ्य गायत्री मन्त्र अथवा सूर्य के इन मंत्रों का अधिक से अधिक जाप करना चाहिये।

मन्त्र 👉 1- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:

2- ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम: 

पूजा-अर्चना में भगवान को भी तिल और गुड़ से बने सामग्रियों का भोग लगाएं। तदोपरान्त ज्यादा से ज्यादा भोग प्रसाद बांटे।

इसके घर में बनाए या बाजार में उपलब्ध तिल के बनाए सामग्रियों का सेवन करें। इस पुण्य कार्य के दौरान किसी से भी कड़वे बोलना अच्छा नहीं माना गया है। 

मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए।

राशि के अनुसार दान योग्य वस्तु

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मेष🐐 गुड़, मूंगफली दाने एवं तिल का दान करें। 
वृषभ🐂 सफेद कपड़ा, दही एवं तिल का दान करें। 
मिथुन👫 मूंग दाल, चावल एवं कंबल का दान करें। 
कर्क🦀 चावल, चांदी एवं सफेद तिल का दान करें। 
सिंह🦁 तांबा, गेहूं एवं सोने के मोती का दान करें। 
कन्या👩 खिचड़ी, कंबल एवं हरे कपड़े का दान करें। 
तुला⚖️ सफेद डायमंड, शकर एवं कंबल का दान करें। 
वृश्चिक🦂 मूंगा, लाल कपड़ा एवं तिल का दान करें। 
धनु🏹 पीला कपड़ा, खड़ी हल्दी एवं सोने का मोती दान करें। 
मकर🐊 काला कंबल, तेल एवं काली तिल दान करें। 
कुंभ🍯 काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी एवं तिल दान करें। 
मीन🐳 रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल एवं तिल दान करें।
    
कुछ अन्य उपाय
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सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण है
👉 कहते हैं इसी त्यौहार पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं
👉 आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहाँ से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है
👉 अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति ख़राब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं
👉 जहाँ पर परिवार में रोग कलह तथा अशांति हो वहां पर रसोई घर में ग्रहों के विशेष नवान्न से पूजा करके लाभ लिया जा सकता है
👉 पहली होरा में स्नान करें,सूर्य को अर्घ्य दें
👉 श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें,या गीता का पाठ करें
👉 मनोकामना संकल्प कर नए अन्न,कम्बल और घी का दान करें
👉 लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें
👉 सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें
मंत्र "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"
👉 संध्या काल में अन्न का सेवन न करें
👉 तिल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें
👉 शनि देव के मंत्र का जाप करें
👉 मंत्र "ॐ प्रां प्री प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
👉 घी,काला कम्बल और लोहे का दान करें।


मकर संक्रांति 14 या 15 जनवरी को, शंका समाधान

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मकर संक्रांति का त्योहार हर साल सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के अवसर पर मनाया जाता है। बीते कुछ वर्षों से मकर संक्रांति की तिथि और पुण्यकाल को लेकर उलझन की स्थिति बनने लगी है। आइए देखें कि यह उलझन की स्थिति क्यों बनी हैं और मकर संक्रांति का पुण्यकाल और तिथि मुहूर्त क्या है। दरअसल इस उलझन के पीछे खगोलीय गणना है। गणना के अनुसार हर साल सूर्य के धनु से मकर राशि में आने का समय करीब 20 मिनट बढ़ जाता है। इसलिए करीब 72 साल के बाद एक दिन के अंतर पर सूर्य मकर राशि में आता है। ऐसा उल्लेख मिलता है कि मुगल काल में अकबर के शासन काल के दौरान मकर संक्रांति 10 जनवरी को मनाई जाती थी। अब सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का समय 14 और 15 के बीच में होने लगा क्योंकि यह संक्रमण काल है।

साल 2012 में सूर्य का मकर राशि में प्रवेश 15 जनवरी को हुआ था इसलिए मकर संक्रांति इस दिन मनाई गई थी। पिछले कुछ वर्षों में मकर संक्रांति 15 जनवरी को ही मनाई गयी ऐसी गणना कहती है। इतना ही नहीं करीब पांच हजार साल बाद मकर संक्रांति फरवरी के अंतिम सप्ताह में मनाई जाने लगेगी

ज्योतिषीय गणना एवं मुहुर्त चिंतामणी के अनुसार सूर्य सक्रान्ति समय से 16 घटी पहले एवं 16 घटी बाद तक का पुण्य काल होता है निर्णय सिन्धु के अनुसार मकर सक्रान्ति का पुण्यकाल सक्रान्ति से 20 घटी बाद तक होता है किन्तु सूर्यास्त के बाद मकर सक्रान्ति प्रदोष काल रात्रि काल में हो तो पुण्यकाल दूसरे दिन माना जाता है। इस वर्ष भगवान सूर्य देव 14 जनवरी शनिवार को रात्रि 8 बजकर 43 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेगें।
सूर्य धनु से मकर राशि में 14 जनवरी को प्रवेश कर रहा है। अतः धर्म सिंधु के मतानुसार..

मकरे पराश्चत्वारिंशत्।।
अर्थात मकर में परली चालीस घड़िया पुण्यकाल है।

इदं मकरकर्कातिरिक्तं सर्व- त्र रात्रिसंक्रमे ज्ञेयम् ॥
अयने तु मकरे रात्रिसंक्रमे सर्वत्र परदिनमेव पुण्यम् ॥

अर्थात👉 मकर में रात्रि को संक्रांति होय तो सर्वत्र परदिन में पुण्यकाल माना जाता है।

अतः इस वर्ष उदया तिथि के में संक्रांति आरम्भ होने के कारण 15 जनवरी रविवार के दिन संक्रान्ति का पर्व मनाया जाना ही शास्त्रोचित है।

ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार मकर संक्रांति की शुरुआत चित्रा नक्षत्र के दौरान हो रही है। हस्त नक्षत्र 14 जनवरी को शाम 06 बजकर 13 मिनट तक रहेगा। धर्म शास्त्रों के अनुसार चित्रा नक्षत्र होने पर दान, स्नान, पूजा पाठ और मंत्रों का जाप करने पर विशेष शुभ फल की प्राप्ति होती है। मकर संक्रांति पर चित्रा नक्षत्र के साथ सुकर्मा और योग का निर्माण हो रहा है।

मकर संक्रांति फल

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वेदों में सूर्य उपासना को सर्वोपरि माना गया है। जो आत्मा, जीव, सृष्टि का कारक एक मात्र देवता है जिनके हम साक्षात रूप से दर्शन करते है। सूर्य देव कर्क से धनु राशि में 6 माह भ्रमण कर दक्षिणयान होते है जो देवताओं की एक रात्रि होती है। सूर्य देव मकर से मिथुन राशि में 6 माह भ्रमण कर उत्तरायण होते है जो एक दिन होता है। जिसमें सिद्धि साधना पुण्यकाल के साथ-साथ मांगलिक कार्य विवाह, ग्रह प्रवेश, जनेउ, संस्कार, देव प्राण, प्रतिष्ठा, मुंडन कार्य आदि सम्पन्न होते है। सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते है इस सक्रमण को मकर सक्रान्ति कहा जाता है जिसमें स्वर्ग के द्वार खुलते है।

संक्रांति शुभ होगी या अशुभ इसका विचार उसके वाहन एवं उपवाहन से किया जाता है। फिर उसका नाम भी रखा जाता है और फिर देखा जाता है कि वह देश-दुनिया के लिए कैसी रहेगी। माना जाता है कि संक्रांति जो कुछ ग्रहण करती है, उसके मूल्य बढ़ जाते हैं या वह नष्ट हो जाता है। वह जिसे देखती है, वह नष्ट हो जाता है, जिस दिशा से वह जाती है, वहां के लोग सुखी होते हैं, जिस दिशा को वह चली जाती है, वहां के लोग दुखी हो जाते हैं।

इस बार संक्रांति का वाहन बाघ और उप वाहन घोड़ा है। संक्रांति देवी के हाथ में कंगन, जटी फूल, गदा और खीर रहेगी। ये भोग की अवस्था में रहेगी।

मकर संक्रांति 2023 के वाहनादि परिचय

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नाम👉 राक्षसी 
वार मुख👉 पश्चिम 
दृष्टि👉 ईशान 
गमन👉 उत्तर 
वाहन👉 व्याघ्र 
उपवाहन👉 अश्व
वस्त्र👉 पीला
आयुध👉 गदा
भक्ष्य पदार्थ👉 पायस
गन्ध द्रव्य👉 कुमकुम
वर्ण👉 भूत
पुष्प👉 जटी
वय👉 कुमार
अवस्था👉 भोग
करण मुख 👉 दक्षिण
स्थिति👉 बैठी
भोजन पात्र👉 चांदी
आभूषण👉 कंकण
कन्चुकी👉 हरि

मकर संक्रान्ति का पुण्यकाल

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मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी प्रातः 7 बजकर 14 मिनट से शाम 5 बजकर 37 मिनट तक है।

इसी बीच 1 घंटा 44 मिनट तक अर्थात प्रातः 07:14 बजे से 08.48 बजे तक महापुण्य काल रहेगा। इस काल में तिल, गुड़, वस्त्र का दान करना और तर्पण करना पुण्य फलदायी होगा।

संक्रान्ति 2023 फल
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नाम के अनुरूप यह संक्रांति जन मांस में भय का वातावरण बनायेगी लेकिन सरकारों और सरकारी कर्मचारियों के लिए यह संक्रान्ति शुभ फलदायक है।
मकर संक्रांति के प्रभाव से वस्तुओं की लागत सामान्य होगी। लेकिन प्रजा में रोग बढेगा लोग खांसी और ठण्ड से पीड़ित होंगे, राष्ट्रों के बीच संघर्ष होगा और कुछ प्रदेशो में बारिश के अभाव में अकाल की सम्भावना बनेगी।


राशि अनुसार मकर संक्राति का प्रभाव, दान एवं उपाय

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मेषः👉 राशि वाले जातकों को मान प्रतिष्ठा में वृद्धि और लाभ के अवसर मिलेंगे.पदोन्नति की संभावना, सरकार से लाभ, धनागमन,प्रतिष्ठित जनों से मित्रता के योग है। ओम् सूर्याय नमः का जाप करें । गुड़ व गेहूं का दान करें।

वृषभ:👉 वृष राशि वाले जातकों को विवाद और मानसिक कष्ट की संभावना बनी रहेगी अधिक प्रयास के बाद सुख साधन बढ़ेंगे। दूध दही सफेद वस्तुओं का दान करें। मिथ्यारोप, धन हानि, अत्याधिक व्यय, राज्य पक्ष से चिंता हो सकती है। कनक (गेंहू) दान करें।

मिथुनः👉 मिथुन राशि वाले जातकों को कोर्ट कचहरी के मामलो में कष्ट और धन का अपव्यय हो सकता है. हरी सब्जी ,हरी मूंग की दाल या हरे फल, मिठाई दान करें। सूर्य का के गोचर शारीरिक व्याधि, ज्वर, मानहानि, पत्नी को पीड़ा दे सकता है। गुड़ का हलुवा गरीबों को खिलाएं।

कर्कः👉 कर्क राशि वाले जातकों के दांपत्य संबंधों में विवाद और मानहानि की संभावना है. सिर पीड़ा, उदर रोग, धन हानि, यात्रा, शत्रुओं से झगड़ा आदि दिखता है। सूर्य को तिल डाल कर जल अर्पित करें। चावल का दान लाभ देगा।

सिंहः👉 सिंह राशि वाले जातक शत्रुओं पर विजय प्राप्त की और रोगों से निजात मिलेगी। सूर्य की उपासना करें । सरकार से लाभ होगा। ओम् घृणि सूर्याय नमः का जाप करें। सोने के आभूषण या गोल्ड क्वाएन खरीदना धन वृद्धि करेगा। गेहूं या बेकरी उत्पाद का दान करें।

कन्याः👉 कन्या राशि वाले जातकों को उच्च अधिकारियों से तनाव मिलेगा.
सूर्य संतान से भी चिंता दे सकता है।यात्रा ध्यान से करें, संतान की सेहत का ध्यान रखें,वाद विवाद से बचें, मतिभ्रम न होने दें। जल में तिल डाल कर नहाएं। गााय को चारा दें। जल में तिल डाल कर स्नान करें। किसी प्रियजन को मोबाइल भेंट करें या जरुरतमंद को दान करें। 

तुलाः👉 तुला राशि वाले जातकों को जमीन जायदाद संबंधी मामलों में सतर्कता रखने की आवश्यकता है.
जमीन जायदाद संबंधी समस्याएं, मान हानि, घरेलू झगड़ों से परेशानी, शारीरिक कमजोरी । खिचड़ी और खीर का दान करें। इस अवसर पर चांदी खरीदें।

वृश्चिकः👉 वृश्चिक राशि वाले जातकों को तरक्की के अवसर और आय में वृद्धि की संभावना है. रुका धन आने की संभावना। मान प्रतिष्ठा की प्राप्ति, पुत्र व मित्रों, समाज से सम्मान देगा कोर्ट केस में विजय शत्रु दबे रहेंगे। रोग मुक्ति, गज्जक , रेवड़ी का दान फलेगा। जल में गुड़ डाल कर सूर्य को अर्पित करें।

धनुः👉 धनु राशि वाले जातकों को धन हानि सिर और आंखों में पीड़ा के योग हैं. शिक्षा क्षेत्र,कंपीटीशन आदि में सफलता। सिर, दुष्ट लोगों से मिलन, व्यापार हानि, संबंधियों से वैमनस्य करा सकता है। खिचड़ी स्वयं बनाकर 9 निर्धन मजदूरों को खिलाएं। नेत्रहीनों को भोजन करवाएं। चने की दाल का दान करें। 

मकरः👉 मकर राशि वाले जातकों का मान सम्मान में वृद्धि लाभ के अवसर आ रहे हैं धन के लिए प्रयास करने पड़ेंगे सूर्य का गोचर मान हानि, कायों में देरी, उद्देश्यही भ्रमण, मित्रों से मनमुटाव, सेहत भी खराब कर सकता है। गरीबों में सवा किलो चावल और सवा किलो काले उड़द या इसकी खिचड़ी दान करें। तांबे के बर्तन धर्मस्थान पर दान दें।

कुंभः👉 कुंभ राशि वाले जातकों को यश प्रतिष्ठा में वृद्धि यात्रा मनोरंजन के योग हैं धन प्राप्ति के विशेष अवसर आएंगे विदेश यात्रा के योग बनेंगे लापरवाही करने पर नेत्र कष्ट, अधिक व्यय, पद की हानि करवा सकता है सूर्य का गोचर। मरीजों को मीठा दलिया खिलाएं। काला सफेद कंबल या गर्म वस्त्र दान करें।

मीनः👉 सूर्य का भ्रमण धन लाभ, नवीन पद, मंगल कार्य, राज्य कृपा, तरक्की, धन प्राप्ति देता है। वाहन सुख । प्रापर्टी का ब्याना देना या बुकिंग, दीर्घकालीन निवेश के लिए सर्वोत्तम मुहूर्त। तिल के लडडू या बेसन से बनी चीजें दान करें।

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