"चित्रकूट: एक महान धार्मिक स्थल की महिमा"

यदि आप प्रभु राम के कर कमलों द्वारा पावन किये गए स्थलों के विषय में चर्चा करते हैं, तो बिना चित्रकूट का उल्लेख किये, आपकी चर्चा पूर्ण नहीं हो सकती।

"चित्रकूट: मध्य प्रदेश का आध्यात्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक"

यदि आप प्रभु राम के कर कमलों द्वारा पावन किये गए स्थलों के विषय में चर्चा करते हैं, तो बिना चित्रकूट का उल्लेख किये, आपकी चर्चा पूर्ण नहीं हो सकती।

श्री राम जी के वनवास का एक मुख्य भाग मध्य प्रदेश के चित्रकूट के जंगलों में था। चित्रकूट के पावन अरण्यों में ही रामायण के अनेकों व्यंग हुए हैं। भरत मिलाप, श्री राम एवं पवन पुत्र हनुमान का प्रथम मिलन, माता अनुसुइया का शिला से पुनः स्त्री का रूप धारण करना जैसी अनेको कथाएँ चित्रकूट के ही जंगलों से ही जुड़ी हुई हैं।

"रामघाट: एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल जिसमें दीप समर्पित हैं आराधना और समरसता के संदेश" : -

यह घाट मंदाकिनी नदी के किनारे है। माना जाता है कि वनवास के समय में श्री राम, श्री लक्ष्मण और माता सीता इसी घाट पर मन्दाकिनी नदी में नहाया करते थे। इसी घाट पर श्री राम ने संत तुलसीदास को अपने दर्शन दिए थे।

"कामदगिरि: एक अद्भुत पर्वत शिखर जो प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व से भरपूर है":-

कामदगिरि ही चित्रकूट का असली जंगल है, जहाँ कई मंदिर बने हैं। यह एक पर्वतीय गिरी है जहां पर आज भी श्री राम की अनुभूति होती है। प्रभु श्री राम जी यहाँ पर कामदनाथजी के नाम से भी जाने जाते हैं। इस पर्वत की परिक्रमा करने का विधान है, जिसका पथ 5 km लंबा है।

"भारत मिलाप: धर्म, मित्रता, और असीम प्रेम की एक ऐतिहासिक यात्रा":-


भरत मिलाप मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इसी जगह पर श्री राम और भरत जी का मिलाप हुआ था। यहां पर प्रभु राम के पद चिन्ह आज भी चट्टान पर मुद्रित दिखाई देते हैं।

"सती अनुसुइया आश्रम: एक आध्यात्मिक स्थल जहाँ भक्ति, सेवा और समाज सेवा के संदेश से जुड़ी हैं दीप शिखा":-


घने जंगलों के बीच में एक आश्रम है जहाँ ऋषि अत्रि एवं माता अनुसुइया रहते थे। ऋषि वाल्मीकि के अनुसार एक समय में चित्रकूट में कई वर्षों तक वर्षा नहीं हुई और वहाँ पर प्राणियों का हाहाकार मैच हुआ था। तब माता अनुसुइया ने कठोर तपस्या कर के मन्दाकिनी नदी को धरती पर उतार दिया था।

कहा जाता है कि यहीं पर श्री राम और माता सीता ऋषि अत्रि एवं माँ अनुसुइया से मिलने आये थे, और माता अनुसुइया ने माँ सीता को सतीत्व का महत्त्व समझाया था।  दंडक अरण्य के जंगल यही से शुरू होते थे।

स्फटिक शिला:-

कहा जाता है कि जब हनुमान जी माँ सीता की खोज करने लंका गए थे, प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी यहीं पर प्रतीक्षा कर रहे थे ।

"गुप्त गोदावरी: चित्रकूट का रहस्यमयी जलप्रपात जहाँ राम लक्ष्मण ने पाया शरण और भक्ति का अनुभव":-


इस स्थान पर दो गुफाएं हैं, जिनमे से एक में जल धरा बहती है। कहा जाता है की ये धरा गोदावरी की है। कथाओं के अनुसार यहाँ पर श्री राम और लक्ष्मण जी रुके थे, यहाँ पर सिंघासन रुपी दो चट्टान भी हैं।

भरत कूप:-

भरत कूप वह स्थान है जहां भरत जी ने सारे तीर्थ स्थलों से पवित्र जल ला कर रखा था। यहां पर एक कुआ है जिसका पानी सदा स्वच्छ रहता है। कथाओं के अनुसार. जब भरत जी श्री राम को अयोध्या ले जाने के लिए आये थे, तो श्री राम का राज्याभिषेक करने के लिए अपने साथ पांच नदियों का पानी लाये थे । जब प्रभु ने वापस लौटने से मना कर दिया तो भरत जी ने ऋषि वशिष्ठ के कहने पर, एक कूप का निर्माण कर के जल को वहीं रख दिया।

"राम शैय्या चित्रकूट: जहाँ भगवान राम ने ली थी आराधना की नींव और मिला था समस्त जगत का आशीर्वाद":-

यह जगह चित्रकूट और भरत कूप के बीच स्थित है। कहा जाता है की इसी जगह पर श्री राम, माता सीता और लक्ष्मण जी दिन भर की थकान के बाद शयन किया करते थे। यहां पर पत्थरों पर श्री राम, माँ सीता और लक्ष्मण जी के निशानों को भी देखा जा सकता है।

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