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"जब हनुमान जी को अपनी शक्ति याद आई" —| Sundar Kand | सुंदर कांड

एक ओर समंदर की लहरें गरज रही थीं, दूसरी ओर भगवान राम की आँखों में चिंता की लहरें थीं। माता सीता का अपहरण हो चुका था। रावण उन्हें छल से दूर लंका ले गया

यह केवल एक कथा नहीं है... यह आत्म-ज्ञान और आस्था की वो लौ है, जो अंधेरे में रास्ता दिखाती है।

एक ओर समंदर की लहरें गरज रही थीं, दूसरी ओर भगवान राम की आँखों में चिंता की लहरें थीं।
माता सीता का अपहरण हो चुका था। रावण उन्हें छल से दूर लंका ले गया था।

जब घायल पक्षिराज जटायु ने अंतिम सांसों में बताया कि रावण माता को लंका ले गया है, तब से ही राम और लक्ष्मण उनकी खोज में निकल पड़े। अब वानरों की विशाल सेना समुद्र के किनारे खड़ी है — लहरों के उस पार है लंका... और लंका में हैं माता सीता


🌊 समंदर के सामने खड़े हैं वीर... पर मौन है एक महावीर

समुद्र को पार करने की चुनौती खड़ी है — कौन करेगा यह असंभव कार्य?

कोई कहता है,
👉 "मैं 20 योजन तक छलांग लगा सकता हूँ!"
दूसरा गर्व से कहता है,
👉 "मैं 40 योजन तक जा सकता हूँ!"

चारों ओर चर्चा है, आकलन है, जोश है — पर एक कोने में शांत बैठे हैं हनुमान

वो वीर जिसने पर्वत उखाड़े, वो बालक जिसने सूर्य को फल समझ निगल लिया... वह चुप है।

जामवंत जी यह मौन समझ गए।

समंदर के सामने खड़े हैं वीर... पर मौन है एक महावीर

जामवंत की प्रेरणा — आत्मज्ञान की चिंगारी

जामवंत जी ने हनुमान जी से कहा:

"तब जामवंत बोले उचारा। जानि जेहिं कवि शक्ति तुम्हारा।।
बालि समय रघुपति अनुजाना। सुनि प्रभु बचन तुम्हारि समाना।।
"


"हे हनुमान! तुम क्यों नहीं बोलते? क्या तुम भूल गए कि तुम कौन हो?
तुम्हीं तो वह हो जिन्होंने बचपन में सूर्य को निगल लिया था!
तुम्हीं वह हो जिनमें स्वयं ब्रह्मांड की शक्ति समाई है।
तुम्हारा तो नाम ही 'हनुमान' है — साहस और विश्वास का दूसरा नाम!"

और फिर वही प्रसंग जो युगों तक हर हृदय को हिम्मत देता है —

"जामवंत के बचन सुहाए | सुनि हनुमंत हृदय अति भाए || 

तब लगि मोहि  पारखेहु तुम्ह भाई |  सहि दुख कंद मूल फल खाई || "

उन शब्दों में केवल मंत्र नहीं थे, वो आत्म-ज्ञान की चाबी थी।


शक्ति जागी, इतिहास बना

हनुमान जी की आँखों में जैसे कोई बिजली कौंध गई।
उनका सिर उठा — चेहरे पर तेज था, शरीर में कंपन और आत्मा में संकल्प।

"अब मुझे कुछ याद नहीं रखना... केवल रामकाज करना है।"
उनका मन केवल एक मंत्र से गूंज रहा था —
"राम काज कीन्हे बिना, मोहि कहाँ विश्राम!"

फिर जो हुआ, वो केवल छलांग नहीं थी —
वो इतिहास की सबसे बड़ी उड़ान थी।
हनुमान जी लंका की ओर उड़े, अपनी असली शक्ति के साथ — और हर युग के लिए बन गए "भक्ति, शक्ति और सेवा" के प्रतीक।

शक्ति जागी, इतिहास बना



🔥 सीख जो जीवन बदल दे —

💡 "कभी-कभी हमें खुद को याद दिलाने के लिए एक 'जामवंत' की ज़रूरत होती है।"
💡 "हम सबके अंदर हनुमान जैसी शक्ति है, बस उसे पहचानने की देर है।"
💡 "जब मन कहे 'मैं नहीं कर सकता', तब आत्मा कहे — ‘जय श्रीराम!’"


🌺 निष्कर्ष

हनुमान जी की यह कथा केवल एक अध्याय नहीं, हर इंसान के जीवन की गहराई में उतरने वाली प्रेरणा है।
अगर आप कभी हार मानने लगें, खुद को कमजोर समझें — तो याद रखिए, आप भी हनुमान हैं, बस आपकी शक्ति आपको याद दिलाई जानी बाकी है।

उठिए, जागिए... और अपने 'समुद्र' को पार कीजिए। क्योंकि आप कर सकते हैं — और आप करेंगे।

🚩 जय श्रीराम!
🚩 जय बजरंगबली!



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