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श्री कृष्ण भजन | पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा लिरिक्स इन हिन्दी - lyricsgana.in

त्रिभुवन की जहाँ सम्पदा,अन्न धन के भण्डार त्रिभुवन की जहाँ सम्पदा,अन्न धन के भण्डार वहाँ स्थान कहाँ पाएंगे मेरे चावल चार पगला सोच रहा, ये लाज का म

पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा लिरिक्स इन हिन्दी

पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा lyrics in Hindi
Image Credit by:- Tilak


निर्माता: रामानंद सागर/सुभाष सागर/प्रेण सागर
निर्देशक: रामानंद सागर / आनंद सागर / मोती सागर
मुख्य सहायक निर्देशक: योगी योगिन्दर
सहायक निर्देशक: राजेंद्र शुक्ला / श्रीधर जेट्टी / ज्योति सागर
पटकथा और संवाद: रामानंद सागर
कैमरा: अविनाश सतोस्कर
संगीत: रवींद्र जैन
गीतकार: रवींद्र जैन
पार्श्व गायक: सुरेश वाडकर / हेमलता / रवींद्र जैन / अरविंदर सिंह / सुशील
संपादक: गिरीश दादा / मोरेश्वर / आर मिश्रा / सहदेव

पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा Lyrics in Hindi

त्रिभुवन की जहाँ सम्पदा,अन्न धन के भण्डार
त्रिभुवन की जहाँ सम्पदा,अन्न धन के भण्डार


वहाँ स्थान कहाँ पाएंगे मेरे चावल चार  
पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा 
पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा Lyrics in Hindi


नारायण का वास जहाँ, जहाँ लक्ष्मी का धाम 
वहाँ सुदामा दीन के तंदुल का क्या काम 
पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा 


क्या सोचेंगी रानियाँ, क्या बोलेंगे दास
क्या सोचेंगी रानियाँ, क्या बोलेंगे दास
सहना होगा दीन को किस किस उपहास 
पगला सोच रहा, ये लाज का मारा सोच रहा 


सिरहाने धर पोटली, चावल रहा छुपाय 
सिरहाने धर पोटली, चावल रहा छुपाय 
त्रिभुवन पति को भेट ये देने में सकुचाय 
आ गए श्याम शाखा इतने में आ गए श्याम शाखा

कहती थी मांगे बिना घर भर नाथ Lyrics in Hindi

कहती थी मांगे बिना घर भर नाथ 
कहती थी मांगे बिना घर भर नाथ 
धोखा हुआ वसुंधरा बेचारी के साथ
धोखा हुआ वसुंधरा बेचारी के साथ 
पगला सोच रहा क्या पाया  
पगला सोच रहा क्यों आया 
पगला सोच रहा

आया खली हाँथ और भेजा खाली हाथ 
आया खली हाँथ और भेजा खाली हाथ 
कैसे दीनदयाल है, कैसे दीनानाथ  
पगला सोच रहा क्या पाया  
पगला सोच रहा क्यों आया 
पगला सोच रहा
***********जय श्री राधे***********


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